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  • भारत-चीन विवाद में ट्रंप का ऑफर, एक्सपर्ट्स बोले- 'हमने कभी बाहरी दखल के लिए नहीं कहा'
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डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर कहा था कि अमेरिका भारत-चीन सीमा विवाद (India China Dispute) में मध्यस्थता करने के लिए तैयार है। Ladakh में दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनातनी है।

Written By newsonline | Ahmedabad | Published: 2020-05-28 08:56:25

नई दिल्ली
भारत और चीन के बीच लंबे समय से चला आ रहा सीमा विवाद फिर मुंह बाए खड़ा है। लद्दाख में दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं। इन सबके बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मध्यस्थता की पेशकश की। तो क्या किसी तीसरे पक्ष की दखल की कोई गुंजाइश है? ज्यादातर जानकारों ने इस मुद्दे पर ट्रंप के ऑफर की आलोचना की है। आइए जानते हैं एक्सपर्ट्स की राय:

अमेरिका में भारत की पूर्व राजदूत रहीं मीरा शंकर ने कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप ने जो बात कही वह एक अनचाही पेशकश है। संभवत: राष्ट्रपति ट्रंप की यह पेशकश, अपनी एक महान समझौताकार की छवि बनाने का प्रयास हो, क्योंकि वह अकसर बड़ी समस्याओं के समाधान के लिए समझौतों में शामिल होने का प्रयास करते हैं। एक चौंकाने वाले कदम के तहत ट्रंप ने भारत और चीन के बीच बढ़ते सीमा विवाद में मध्यस्थता की पेशकश करते हुए कहा कि वह तनाव कम करने के लिये तैयार, इच्छुक और सक्षम हैं। उनकी यह पेशकश लद्दाख में भारतीय और चीनी फौजों के बीच जारी गतिरोध के दौरान आई है। ट्रंप ने इससे पहले भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे की मध्यस्थता की पेशकश की थी जिसे नई दिल्ली ने सिरे से खारिज कर दिया था।'

रूस में भारत के पूर्व राजदूत पी एस राघवन भी शंकर की बात से इत्तेफाक रखते हैं। उन्होंने कहा कि बाहरी मध्यस्थता वास्तव में जटिल द्विपक्षीय मुद्दों में काम नहीं करती है। उन्होंने कहा, 'हमने अपने किसी भी द्विपक्षीय विवाद के समाधान के लिये कभी किसी बाहरी दखल के लिये नहीं कहा। हमारी अपने दोनों पड़ोसियों- पाकिस्तान और चीन- से मजबूत बातचीच है। हमारे पास तंत्र हैं, हमारे पास बातचीत का जरिया है और हम अपने द्विपक्षीय मुद्दे इन व्यवस्थाओं के ढांचे के तहत निपटाते हैं। मुझे नहीं लगता कि इस बारे में जो कहा गया, उससे कहीं ज्यादा कुछ कहने की जरूरत है।'

राघवन ने कहा कि वह इस बात को लेकर कोई कयास नहीं लगाना चाहते कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने किस वजह से यह प्रस्ताव दिया। रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ अशोक के कंठ ने भी कहा कि भारत और चीन में सीमा विवाद से निपटने के लिये एक मजबूत तंत्र है। उन्होंने कहा, 'हमारी स्थिति यह है कि हम अपने द्विपक्षीय सीमा विवाद के मुद्दे तय व्यवस्था के तहत सुलझाते हैं। भारत और चीन दोनों इस खास कार्यढांचे के तहत इसे देख रहे हैं। हमने कभी किसी बाहरी से दखल के लिए नहीं कहा।'


ट्रंप के कश्मीर मुददे पर भारत-पाक के बीच मध्यस्थता की पेशकश के संदर्भ में शंकर ने कहा कि अमेरिकी विदेश विभाग के इस मामले में स्पष्टीकरण देने के बाद यह स्वाभाविक रूप से खत्म हो गया। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बुधवार सुबह-सुबह ट्वीट किया, 'हमने भारत और चीन दोनों को सूचित किया है कि अमेरिका उनके इस समय जोर पकड़ रहे सीमा विवाद में मध्यस्थता करने के लिए तैयार, इच्छुक और सक्षम है। धन्यवाद।' ट्रंप का यह अनपेक्षित प्रस्ताव ऐसे दिन आया है जब चीन ने एक तरह से सुलह वाले अंदाज में कहा कि भारत के साथ सीमा पर हालात कुल मिलाकर स्थिर और काबू पाने लायक हैं।