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  • पोर्नोग्राफी केस में गिरफ्तार राज कुंद्रा, दोषी निकले तो होगी इतनी सजा
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पोर्नोग्राफी और पोर्नोग्राफिक कंटेंट के मामलों को लेकर हमारा कानून काफी सख्त है. इस तरह के मामलों में आईटी एक्ट के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की कई धाराएं भी आरोपी के खिलाफ लिखी जाती है.

Written By newsonline | Ahmedabad | Published: 2021-07-20 10:47:56

मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति और कारोबारी राज कुंद्रा को गिरफ्तार कर लिया है. कुंद्रा के खिलाफ इसी साल फरवरी में पोर्नोग्राफिक कंटेंट बनाने और उसे ऐप के माध्यम से प्रसारित करने के मामले में केस दर्ज किया गया था. इसी मामले में उनकी गिरफ्तारी की गई है. ऐसे मामलों में अक्सर आरोपी के खिलाफ आईटी एक्ट और आईपीसी की धाराओं में मामला दर्ज किया जाता है. अगर अदालत आरोपी को दोषी करार देती है, तो उसे कई साल जेल में रहना पड़ सकता है. 

पोर्नोग्राफी और पोर्नोग्राफिक कंटेंट के मामलों को लेकर हमारा कानून काफी सख्त है. इस तरह के मामलों में आईटी एक्ट के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की कई धाराएं भी आरोपी के खिलाफ लिखी जाती हैं. इंटरनेट का चलन और आधुनिक तकनीक के विकसित हो जाने के बाद आईटी एक्ट में संशोधन भी किया गया था. ताकि आज के समय में इस तरह के मामलों में दोषी पाए जाने वाले शख्स को कड़ी से कड़ी सजा हो. 

एंटी पोर्नोग्राफी लॉ 
इंटरनेट के माध्यम से अश्लीलता का व्यापार भी खूब फलफूल रहा है. ऐसे में पोर्नोग्राफी एक बड़ा कारोबार बन गई है. जिसके दायरे में ऐसे फोटो, वीडियो, टेक्स्ट, ऑडियो और सामग्री आती है, जो यौन, यौन कृत्यों और नग्नता पर आधारित हो. ऐसी सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक ढंग से प्रकाशित करने, किसी को भेजने या किसी और के जरिए प्रकाशित करवाने या भिजवाने पर एंटी पोर्नोग्राफी लॉ लागू होता है. 

अश्लील वीडियो बनाना अपराध
दूसरों के नग्न या अश्लील वीडियो तैयार करने वाले या ऐसा एमएमएस बनाने वाले या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से इन्हे दूसरों तक पहुंचाने वाले और किसी को उसकी मर्जी के खिलाफ अश्लील संदेश भेजने वाले लोग इसी कानून के दायरे में आते हैं. पोर्नोग्राफी प्रकाशित, प्रसारित करना और इलेक्ट्रॉनिक जरियों से दूसरों तक पहुंचाना अवैध है, लेकिन उसे देखना, पढ़ना या सुनना अवैध नहीं माना जाता. जबकि चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना भी अवैध माना जाता है. 

आईटी एक्ट और IPC के तहत सजा
इसके तहत आने वाले मामलों में आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 67 (ए) और आईपीसी की धारा 292, 293, 294, 500, 506 509 के तहत सजा का प्रावधान है. जुर्म की गंभीरता के लिहाज से पहली गलती पर पांच साल तक की जेल या 10 लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है लेकिन दूसरी बार गलती करने पर जेल की सजा 7 साल तक बढ़ सकती है.

 

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