कांग्रेस हाईकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष की कमान देकर अपनी ताकत का एहसास कराया है तो सिद्धू भी सार्वजनिक तौर पर अपने बढ़े कद को पेश कर रहे हैं. वहीं, बाज़ी 'हारने' वाले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अब भी डिगने को राज़ी नहीं हैं.
पंजाब कांग्रेस में उठापटक जारी
है. कांग्रेस हाईकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष की कमान देकर अपनी
ताकत का एहसास कराया है तो सिद्धू भी सार्वजनिक तौर पर अपने बढ़े कद को पेश कर रहे
हैं. वहीं,
बाज़ी 'हारने' वाले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर
सिंह अब भी डिगने को राज़ी नहीं हैं. कुल मिलाकर पंजाब में कांग्रेस की लीडरशिप के
बीच तल्खी कम होती नजर आ रही है.
बुधवार को नवजोत सिंह सिद्धू ने अमृतसर में शक्ति प्रदर्शन किया. सिद्धू के साथ 48 विधायक थे. इनमें 3 विधायक आम आदमी पार्टी के थे.
विधायकों की अच्छी खासी संख्या लेकर साथ निकले सिद्धू ने स्वर्ण मंदिर में भी
मत्था टेका. इस पूरी कवायद से सिद्धू ने एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने का प्रयास
किया.
CID के राडर पर सिद्धू के हितैषी!
तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री कैप्टन
अमिरंदर सिंह की नजर भी सिद्धू पर थी. सिद्धू के घर जाकर जो विधायक उनकी ताकत बढ़ा
रहे थे,
वो सीआईडी
(CID)
के रडार पर
हैं. आजतक को सूत्रों ने बताया है कि सिद्धू के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे
कुछ विधायकों पर गंभीर आरोप हैं. इन विधायकों ने कैप्टन अमरिंदर से मदद भी मांगी
थी. कैप्टन अमरिंदर ने पंजाब को लेकर बने कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के पैनल को भी ये
बात बताई थी. अब जबकि ये विधायक सिद्धू के खेमे में नजर आ रहे हैं तो सीआईडी ने भी
इन पर आंखें गड़ा ली हैं. अब सीएम अमरिंदर सिंह क्या इनके खिलाफ किसी कार्रवाई को
आगे बढ़ाते हैं,
ये देखने
वाली बात होगी. लेकिन फिलहाल, उन्होंने सिद्धू को एक संदेश जरूर दे दिया है.
कैप्टन की शर्त पर
सिद्धू अब तक नहीं राज़ी
दरअसल, कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष की
जिम्मेदारी दिए जाने का पुरजोर विरोध किया था. साथ ही साथ उन्हें लेकर ये भी कहा
जाता रहा कि जो फैसला पार्टी हाईकमान करेगा वो कैप्टन को मंजूर होगा. पार्टी
हाईकमान ने तो फैसला कर दिया है, लेकिन शायद कैप्टन ने
इस निर्णय को दिल से मंजूर नहीं किया है.
हालांकि, इसकी बड़ी वजह माफीनामा भी माना जा रहा है. कैप्टन चाहते
हैं कि सिद्धू ने उनके खिलाफ जिस तरह की बयानबाजी की हैं, उसके लिए वह सार्वजनिक तौर पर माफी मांगें. दरअसल, सिद्धू जब से कैप्टन की कैबिनेट से बाहर हुए हैं वो लगातार
उनकी सरकार और नेतृत्व को लेकर खुले मंच से बोलते रहे हैं. ट्वीट करते रहे हैं.
सिद्धू से क्यों माफी
मंगवाना चाहते हैं कैप्टन?
बिजली का मामला हो या
गुरू ग्रंथ साहिब से बेअदबी का मामला, सिद्धू ने हमेशा ही सीधे-सीधे पंजाब सरकार के नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं यानी
कैप्टन अमरिंदर को टारगेट किया है. अब जबकि कैप्टन के तमाम विरोध के बावजूद सिद्धू
को कमान सौंप ही दी गई है तो कैप्टन सिद्धू से माफी मंगवाकर गिले-शिकवे दूर करना
चाहते हैं. यही वजह है कि उन्होंने माफी नहीं मांगने तक सिद्धू से मिलने से इनकार
कर दिया है.
अब देखना होगा कि क्या सिद्धू कैप्टन के सामने छोटा बनकर इस गतिरोध को खत्म करेंगे या नहीं, क्योंकि शुक्रवार को सिद्धू अपना कार्यभार संभालेंगे और बताया जा रहा है कि इस मौके पर शामिल होने के लिए वो कैप्टन अमरिंदर को न्योता भेजेंगे. अब कैप्टन आएंगे या नहीं, इसी पर निर्भर करेगा कि दोनों की तल्खी चुनाव से पहले खत्म हो पाती है या नहीं.