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  • अमेरिका / ट्रम्प प्रशासन ने एच-1बी वीजा आवेदन फीस 700 रु. बढ़ाई, कहा- इससे सिलेक्शन प्रक्रिया असरदार होगी
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अमेरिकी नागरिकता-आव्रजन सेवा के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्रेशन सिस्टम को लागू करने के लिए यह फीस चार्ज की जाएगी

Written By newsonline | Ahmedabad | Published: 2019-11-08 12:10:21

       वॉशिंगटन. अमेरिका ने एच-1बी वीजा के लिए आवेदन की फीस 10 डॉलर (करीब 700 रुपए) बढ़ा दी है। यह फीस नॉन-रिफंडेबल होगी। अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) ने गुरुवार को कहा कि इस फीस के जरिए इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्रेशन सिस्टम (ईआरएस) को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। इससे आने वाले समय में एच-1बी वीजा के लिए लोगों के सिलेक्शन में आसानी होगी। 


अभी क्या है फीस?
एच-1बी वीजा के लिए अभी आवेदन पर 460 डॉलर (करीब 32 हजार रुपए) लिए जाते हैं। इसके अलावा कंपनियों को धोखाधड़ी रोकने और जांच के लिए 500 डॉलर (करीब 35 हजार रुपये) का अतिरिक्त भुगतान भी करना पड़ता है। प्रीमियम क्लास में 1410 डॉलर (करीब 98 हजार रुपये) का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है।


क्या है इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्रेशन सिस्टम?
यूएससीआईएस के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्रेशन सिस्टम के जरिए अमेरिका में आव्रजन प्रणाली को आधुनिक बनाया जाना है। फिलहाल मैनुअल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के तहत एच-1बी वीजा आवेदनकर्ताओं की जांच की कुछ आवश्यक जांच की जाती है। आवेदकों को उनकी उच्च शिक्षा और स्किल्स के आधार पर एच-1बी वीजा दिया जाता है। ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि इससे कई बार सिलेक्शन में कमी छूट जाती है। 


ईआरएस के आने के बाद एच-1बी के लिए आवेदन करने वालों को पहले खुद को इस सिस्टम में रजिस्टर कराना पड़ेगा। इसके बाद फैसला किया जाएगा कि उन्हें एच-1बी वीजा देने की प्रक्रिया में शामिल किया जाना है या नहीं। यूएससीआईएस के कार्यवाहक निदेशक केन कुचिनेली का कहना है कि इससे फ्रॉड रोकने और योग्य उम्मीदवारों के सिलेक्शन में आसानी होगी। यूएससीआईएस वित्त वर्ष 2021 से इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्रेशन सिस्टम लॉन्च कर सकती है।


एच-1 बी वीजा विदेशी कर्मचारियों को जारी किया जाता है
अमेरिका हर साल विशिष्ट योग्यता (हाई-स्किल्ड) विदेशी कर्मचारियों को अमेरिकी कंपनियों में काम करने के लिए एच-1बी वीजा जारी करता है। तकनीकी क्षेत्र की कंपनियां हर साल भारत और चीन जैसे देशों से लाखों कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए इस पर निर्भर होती है। हालिया अध्ययन में सामने आया कि ट्रम्प प्रशासन ने भारतीयों को अनावश्यक रूप से निशाना बनाया और यहां के कर्मचारियों के एच-1बी वीजा आवेदन सबसे ज्यादा रद्द किए गए।


इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में वीजा रद्द किए जाने का दर 24%
अमेरिकी थिंक टैंक नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक, वीजा रद्द करने की दर 2015 में जहां 6% थी, वहीं वर्तमान वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में यह दर 24% पर पहुंच गई। यह रिपोर्ट यूएस सिटीजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है।