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  • Cage Fish Farming Technology: ये है मछली पालन का बेस्ट तरीका, कम लागत में होगी दोगुनी कमाई
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Cage Fish Farming: मछली पालन के लिए कई प्रकार की मछलियों को बेहतर माना गया है. लेकिन हमें मछली पालन की शुरुआत में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसमें तेजी से बड़े होने की दर हो, आसानी से मिल जाए और लोगों में उसकी डिमांड हो.

Written By newsonline | Ahmedabad | Published: 2021-08-17 10:43:58

मछली पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें आपको लागत के मुकाबले दोगुना फायदा हो सकता है. लेकिन इसके लिए जरूरी है बेहतर तकनीक की. अगर आप बेहतर तरीके से मछली पालन करना जानते हैं तो आप जबरदस्त लाभ कमा सकते हैं. मछली पालन में एक तरीका ऐसा जो अमेरिका, रूस और यूरोप के देशों में काफी प्रचलन में है और ये है पिंजरे में मछली पालन (Cage Fish Farming).

इस तकनीक से मछली पालन के लिए बेहद कम जगह की जरूरत होती है. इस तरीके को अपनाकर आप कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. तो आइए जानते हैं पिंजरे में मछली पालन का तरीका....

पिंजरे में मछली पालन से लाभ
मरम्मत व रखरखाव में आसानी होती है. साथ ही मछलियों के बड़े होने पर उन्हें निकालने में कोई परेशानी नहीं आती. पिंजरे में मछलियों पर नियंत्रण होता है और इनकी ग्रोथ तेजी से होती है. साथ ही इस तरीसे मछली पालन में मछलियों की कम मात्रा में मौत होती है. यही नहीं हम इन्हें अन्य पशुओं से भी बचा पाने में सफल रहते हैं. 

देश में मछलियों की मांग और पूर्ति
देश के जलाशयों से औसतन 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर का ही उत्पादन हो पाता है. जबकि बेहतर तरीके को अपनाकर इसे 100 किलो प्रति हेक्टेयर किया जा सकता है. वर्तमान में मछलियों के बीज के उत्पादन का आंकड़ा 200 करोड़ है जबकि आवश्यकता 1600 करोड़ की है.

कैसे होने चाहिए पिंजरे?
पिंजरे में मछली पालन की शुरुआत के लिए सबसे पहली चीज जिसका हमें ध्यान रखना होता है वो है पिंजरे की क्वालिटी (Fish Cage Farms) और उसे थामे रखने के लिए मजबूत फ्रेम. आप मछली पालन के लिए दो प्रकार का पिंजरों का इस्तेमाल कर सकते हैं. एक वो जो स्थिर रहें यानी एक ही जगह पर रहें और दूसरे वो जो पानी में तैरने वाले हों. स्थिर पिंजरों का इस्तेमाल 5 मीटर तक की गहराई वाले पानी की जगह के लिए किया जाता है.

वहीं, 5 मीटर या उससे अधिक गहराई वाले पानी में तैरने वाले पिंजरों का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, यहां पर ध्यान देने वाली बात ये है कि पिंजरे में मछली पालन हर जगह के पानी में सफल नहीं हो पाता. इसे झील, बांध, तालाब और नदियों में करना लाभदायक हो सकता है. पिंजरों के लिए जगह का चुनाव करते वक्त इस बात का खास ख्याल रखें कि वहां, पानी कम से कम 10 फीट गहरा हो, गंदगी न हो, पशुओं की पहुंच से दूर हो, ऑक्सीजन की कमी न हो.

कौन सी मछली पालें?
मछली पालन के लिए कई प्रकार की मछलियों को बेहतर माना गया है. लेकिन हमें मछली पालन की शुरुआत में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसमें तेजी से बड़े होने की दर हो, आसानी से मिल जाए और लोगों में उसकी डिमांड हो. इनमें सिंघी, मांगुर, महाशीर, रोहू और झींगा को रख सकते हैं.

इन बातों का रखें ख्याल
पिंजरे में काई आने पर पूरक भोजन देना बंद कर दें. ज्यादा खाना देने से प्रदूषण होने लगता है. पिंजरे की जाली को सप्ताह में एक बार जरूर साफ करें. घायल मछलियों को तुरंत अलग करें. समय समय पर उनकी वृद्धि और स्वास्थ्य की जांच करते रहें. पिंजरे की देखभाल, उसकी रस्सियों को समय समय पर बांधना और उनकी सफाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. नियमित समय पर बड़ी हो चुकी मछलियों को अलग कर लें और छोटी मछलियों को एक साथ रखें.

खर्च और कमाई
अगर हम 6 महीने की कमाई का आंकलन करें तो आपको पिंजरे की खरीद पर 45 हजार रुपये का खर्च आएगा. इस पर करीब 75000 रुपये की मजदूरी लग सकती है. इसके अलावा दो लाख रुपये का खर्च पंगेसियस मछली के बीच और उसके खाने में खर्च होगा. ऐसे में आपका कुल खर्च करीब 3.2 लाख रुपये आएगा. लेकिन इससे होने वाली कमाई कहीं ज्यादा होगी. क्योंकि 1 लाख रुपये के पंगेसियस मछली के बीज 6 महीने में तैयार होकर 10 हजार किलो हो जाएगा. यह मछली करीब 100 रुपये किलो के रूप में बिकती है तो कुल आय 10 लाख होगी जिसमें से 3.2 लाख के निवेश को हटा दें तो आपको करीब 7 लाख रुपये की आमदनी होगी.


 

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