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  • Coronavirus Pandemic : CDC ने की पुष्टि, इसलिए कोरोना वायरस से मरने वालों का आंकड़ा है बेहद कम
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कोरोना वायरस से दुनिया के लगभग सभी देश जूझ रहे हैं और कई देश तो ऐसे हैं जहां पर संक्रमण के मामले लाखों की संख्या पार कर चुके हैं। इसी बीच सीडीसी ने बताया है कि आखिर कोरोना वायरस से मौत का आंकड़ा क्यों इतना कम है?

Written By newsonline | Ahmedabad | Published: 2020-05-28 10:07:26

चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस के संक्रमण ने देखते ही देखते पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। चीन ने इस पर काबू तो पाया लेकिन हाल ही में वहां पर फिर से बिना लक्षण वाले मरीज दिखने लगे। कुछ ऐसे भी देश हैं जिन्होंने Covid 19 को रोकने के लिए बेहतरीन इंतजाम किए और इन्होंने संक्रमण के मामले को बढ़ने से रोकने में काफी हद तक बड़ी जीत भी हासिल की। कोरोना वायरस की महामारी ने जब भारत में प्रवेश किया तो यहां पर मार्च से लॉकडाउन लागू करके संक्रमण के बढ़ते हुए मामलों को काफी हद तक सीमित रखा गया। हालांकि पूरी दुनिया में संक्रमण के मुकाबले मरने वालों की तादाद काफी कम है जिसके बारे में सीडीसी ने बयान जारी किया है।

सीडीसी ने इस बात की पुष्टि की है कि पूरी दुनिया में संक्रमण के मामले को देखते हुए अगर मौत का आंकड़ा देखा जाए तो वह काफी कम है। उसने यह भी बताया कि आखिर मौत का आंकड़ा इतना कम कैसे है और उसका क्या कारण है?

सीडीसी ने की पुष्टि

सीडीसी ने पूरी दुनिया के कोरोना वायरस के संक्रमित मामलों की रिपोर्ट तैयार करने के बाद यह जानकारी जुटाई है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले और उसके कारण मौत की चपेट में आने वाले लोगों के बीच का आंकड़ा देखा जाए तो उसमें काफी अंतर है। ऐसा इसलिए भी मुमकिन हो पाया क्योंकि कोरोना वायरस के संक्रमण को ठीक करने के लिए तरह-तरह की इलाज प्रक्रिया को अपनाया गया जिससे काफी मदद मिली।

सीडीसी ने यह भी बताया कि लक्षण ना दिखने वाले मरीजों से भी मौत के आंकड़े में काफी कमी आई है। इससे शरीर में संक्रमण फैलने की स्थिति बेहद खराब नहीं होती और मरीज को सही समय पर इलाज मिले तो वह ठीक भी हो जाता है। कोरोना वायरस से होने वाली कम मौत के आंकड़े में इसे भी एक मुख्य कारण माना जा सकता है।

इन सबके बीच विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि पूरी दुनिया में ज्यादातर कोरोना वायरस के संक्रमण से मरने वाले लोगों की उम्र 60 साल के ऊपर देखी गई है। ऐसे लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर थी और इलाज में लगने वाले लंबे समय के बीच उन पर इलाज का असर भी ठीक तरीके से नहीं हो पाया जिसके कारण उनकी मौत हो गई। हालांकि, कुछ ऐसे भी मामले सुनने में आए हैं जिसमें 20 से 30 साल की उम्र के लोगों को भी मौत हुई है।

अंडरलाइंग डिसीज वाले लोगों की संख्या ज्यादा

अंडरलाइंग डिसीज जैसे कि हृदय रोग, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कैंसर आदि बीमारियों से जूझ रहे लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण का शिकार बड़ी आसानी से होना पड़ा। कोरोना वायरस का संक्रमण जब पूरी दुनिया में अपने पांव पसार रहा था तो उसी बीच सीडीसी ने इस बारे में गाइडलाइन जारी की थी कि अंडरलाइंग डिसीज वालों को कोरोना वायरस के संक्रमण का ज्यादा खतरा है।

सीडीसी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण से ऐसे लोगों के मरने की संख्या ज्यादा है, जिन्हें किसी न किसी प्रकार का रोग था। इसका मतलब ऐसे लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से अभी भी बचे रहने की पूरी कोशिश करनी चाहिए जो पहले से ही किसी न किसी बीमारी से जूझ रहे हैं।

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