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  • 19 साल पहले लॉर्ड्स में दिखी थी 'दादागीरी', गांगुली ने लिया वानखेड़े का बदला
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13 जुलाई 2002 का दिन भारतीय क्रिकेट के लिए बेहद खास साबित हुआ था. इसी दिन टीम इंडिया ने इंग्लैंड को नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल में धूल चटाई थी. जीत के बाद कप्तान सौरव गांगुली ने लॉर्ड्स के बालकनी से अपनी शर्ट निकालकर लहराई थी.

Written By newsonline | Ahmedabad | Published: 2021-07-13 10:59:34

13 जुलाई 2002 का दिन भारतीय क्रिकेट के लिए बेहद खास साबित हुआ था. इसी दिन टीम इंडिया ने इंग्लैंड को नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल में धूल चटाई थी. जीत के बाद कप्तान सौरव गांगुली ने लॉर्ड्स की बालकनी से अपनी शर्ट निकालकर लहराई थी. फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड ने भारत के सामने जीत के लिए 326 रनों का विशाल लक्ष्य रखा था. जवाब में एक समय भारत के पांच विकेट महज 146 रन पर ही गिर गए थे. लेकिन युवराज सिंह (69) और मोहम्मद कैफ (नाबाद 87) ने शानदार बल्लेबाजी कर टीम इंडिया को तीन गेंदें शेष रहते दो विकेट से रोमांचक जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी.

ट्रेस्कोथिक-हुसैन ने जड़े शतक

इंग्लैंड के कप्तान नासिर हुसैन ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया. जहीर खान ने ओपनर निक नाइट (14) को जल्द ही चलता कर दिया, लेकिन दूसरे ओपनर मार्कस ट्रेस्कोथिक पूरी लय में थे. ट्रेस्कोथिक ने नासिर हुसैन के साथ दूसरे विकेट के लिए 185 रन जोड़कर इंग्लैंड को बड़े स्कोर की ओर ले गए. नासिर हुसैन ने 115, जबकि ट्रेस्कोथिक ने 109 रनों की शानदार पारियां खेलीं. आखिरी ओवरों में एंड्रयू फ्लिंटॉफ (40) ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी कर इंग्लैंड को 325/5 रनों तक पहुंचा दिया.

भारत की शानदार शुरुआत

उस वक्त वनडे में 300 से ज्यादा रनों का टारगेट का पीछा करना असंभव सा माना जाता था. डेरेन गफ, एंड्रयू फ्लिंटॉफ और एलेक्स टूडर जैसे तेज गेंदबाजों के सामने तो ये और भी कठिन काम था. वीरेंद्र सहवाग (45) और सौरव गांगुली (60) ने पहले विकेट के लिए ताबड़तोड़ 106 रनों की साझेदारी कर भारतीय टीम को शानदार शुरुआत दिलाई. लेकिन सहवाग और गांगुली के आउट होते ही मैच में नाटकीय मोड़ आ गया. इसके बाद इंग्लिश गेंदबाजों ने दिनेश मोंगिया (9), राहुल द्रविड़ (5) और सचिन तेंदुलकर (14) को सस्ते में आउट कर भारतीय टीम की कमर तोड़ दी. 

युवराज-कैफ की यादगार पारी

भारत ने 146 रनों पर ही 5 विकेट खो दिए थे और भारत के जीत की राह मुश्किल लग रही थी. लेकिन इसके बाद युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ ने 121 रनों की साझेदारी कर भारत की उम्मीदें एक बार फिर जगा दीं. 267 रन के स्कोर पर कोलिंगवुड ने युवराज को चलता कर इस साझेदारी का अंत कर दिया. इसके बाद कैफ ने हरभजन सिंह के साथ 7वें विकेट के लिए 47 रनों की साझेदारी कर मैच को भारत की ओर झुका दिया. लेकिन 48वें ओवर में फ्लिंटॉफ ने हरभजन (15) और कुंबले (0) को आउट कर भारतीय खेमे में खलबली मचा दी. अब भारत को 13 गेंदों पर 12 रनों की जरूरत थी, जिसकी पूरी जिम्मेदारी कैफ और जहीर के कंधों पर थी. दोनों ही खिलाड़ियों ने करोड़ों भारतीय फैंस की उम्मीदों पर खरे उतरते हुए भारत को यादगार जीत दिला दी.

...फ्लिंटाफ से लिया बदला 

फाइनल मुकाबले में भले ही युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ ने भारत को जीत दिलाई थी. लेकिन मैच के असली हीरो तो कप्तान सौरव गांगुली बनकर उभरे. गांगुली ने शर्ट लहराकर सिर्फ जीत का जश्न ही नहीं बनाया, बल्कि वानखेड़े का भी बदला ले लिया था. दरअसल, 3 फरवरी 2002 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भारत-इंग्लैंड के बीच वनडे मुकाबला हुआ था. उस मैच में इंग्लैंड ने भारत को पांच रनों से हराकर छह मैचों की सीरीज को 3-3 से ड्रॉ करवाया था. पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड ने सभी विकेट खोकर 255 रन बनाए थे. जवाब में पूरी भारतीय टीम 250 पर ऑलआउट हो गई थी. इस मैच में एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने जीत के बाद टी-शर्ट उतारकर जश्न मनाया था. फ्लिंटॉप के उसी जीत के जश्न का जवाब सौरव गांगुली ने लॉर्ड्स में दिया था.