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  • मुसीबत में डाल सकता है किसी मैसेज को Forward करना, 7 प्वाइंट्स में समझें क्या है WhatsApp Traceability
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WhatsApp ने अपना पक्ष रखने और यूजर्स को समझाने के लिए WhatsApp ने एक ब्लॉग पोस्ट किया है जिसमें यह बताया गया है कि ट्रेसेब्लिटी क्या है और कंपनी क्यों इसका विरोध कर रही है। तो चलिए जानते हैं इस बारे में सब कुछ।

Written By newsonline | Ahmedabad | Published: 2021-05-27 09:42:49

नई दिल्ली। Facebook के स्वामित्व वाले WhatsApp ने कंपनी को एन्क्रिप्टेड मैसेजेज तक पहुंच प्रदान करने की अनुमति देने की मांग को लेकर भारत सरकार पर मुकदमा दायर किया है। WhatsApp ने सरकार की इस मांग को सिरे से गलत और असंवैधानिक बताया है। कंपनी ने कहा है कि ऐसा करने के लिए उसे अपने एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को तोड़ने की आवश्यकता होगी। बता दें कि सरकार ने जो याचिका दायर की है उसके मुताबिक, कंपनी को किसी भी मैसेज के पहले सोर्स की जानकारी देनी होगी। सरकार का कहना है कि उसे राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने से संबंधित मामलों में मैसेजेज का पता लगाने के लिए WhatsApp की आवश्यकता है।

वहीं, WhatsApp ने कहा है कि यह बड़े पैमाने पर एक नई तरह की निगरानी रखना है। ऐसे में अपना पक्ष रखने और यूजर्स को समझाने के लिए WhatsApp ने एक ब्लॉग पोस्ट किया है जिसमें यह बताया गया है कि ट्रेसेब्लिटी क्या है और कंपनी क्यों इसका विरोध कर रही है। तो चलिए जानते हैं इस बारे में सब कुछ।

क्या है ट्रेसेब्लिटी और सरकार इसे लागू करना क्यों चाहती है?

WhatsApp पर ट्रेसेब्लिटी का सीधा सा मतलब यह पता लगाना है कि WhatsApp पर सबसे पहले किसी मैसेज को किसने भेजा था। लेकिन परेशानी का विषय यह है कि WhatsApp एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड है। यानी संदेश भेजने वाले और प्राप्त करने वाले का नाम नहीं होता है और कोई भी थर्ड पार्टी मैसेज को पढ़ने के लिए हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। WhatsApp का दावा है कि ट्रेसेब्लिटी को सक्षम करने के लिए, उन्हें एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को तोड़ना होगा जो कि प्लेटफार्म की मुख्य USP है। एन्क्रिप्शन से यूजर्स को सिक्योरिटी मिलती है। ऐसे में अगर सरकार यूजर्स के मैसेज पढ़ पाएगी तो प्लेटफॉर्म की गोपनीयता खत्म हो जाएगी।

जहां तक सरकार का सवाल है, ट्रेसेब्लिटी को सक्षम करने का मतलब है कि फर्जी खबरों और गलत सूचनाओं के सोर्स को ट्रैक करना। सरकार अगर WhatsApp मैसेज को देखने में सक्षम हो जाती है तो वे ड्रग पेडलर्स, अपराधियों, संगठित अपराधों या अन्य गलत उद्देश्यों के लिए प्लेटफार्म का इस्तेमाल करने वाले लोगों को ट्रैक कर पाएगी।

WhatsApp
के लिए ट्रेसिब्लिटी खराब क्यों है?

देखा जाए तो सरकार फेक न्यूज के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए ट्रेसेब्लिटी की मांग कर रही है तो ऐसे में WhatsApp के लिए खराब विकल्प क्यों है। कंपनी के मुताबिक, वो सभी यूजर्स के लिए इस फीचर का इस्तेमाल करने से नहीं रोक रहे हैं। WhatsApp ने यूएन फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन स्पेशल रैपोर्टर्स डेविड केए और आईएसीएचआर के स्पेशल रैपोर्टर एडिसन लैंजा की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, ट्रेसेब्लिटी राज्य और गैर-राज्य को राजनीतिक कारणों से पत्रकारों या विरोधियों को अपराधी बनाने के लिए एक कानूनी पक्ष देता है। इसका इस्तेमाल सरकार द्वारा उन लोगों के बीच एक प्रभाव उत्पन्न करने के लिए भी कर सकती है जो इस तरह की जानकारी का प्रसार करते हैं।

मैसेज फॉरवर्ड करना आपको मुसीबत में डाल सकता है:

WhatsApp ने कहा है कि मैसेज फॉरवर्ड करना आपको मुसीबत में डाल सकता है। अगर आप कोई इमेज डाउनलोड करते हैं और फिर उसे भेजते हैं या फिर आप कोई स्क्रीनशॉट लेकर उसे सेंड करते हैं तो यह आपको मैसेज का मेन सोर्स बनाता है। वहीं, ऐसा भी हो सकता है कि कोई किसी मैसेज को कॉपी-पेस्ट कर आगे भेज रहा है तो भी वे व्यक्ति मैसेज का मेन सोर्स बन जाता है। ऐसे में यह स्थिति यूजर्स को मुसीबत में डाल सकती है।

सभी निजी चैट्स WhatsApp को पढ़नी होंगी:

अगर किसी एक मैसेज को ट्रेस करना है तो WhatsApp को आपके सभी मैसेजेज को पढ़ना होगा। कंपनी ने कहा है कि ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे यह पहचाना जा सके कि सरकार किस मैसेज की जांच करने बोल दे। ऐसा करने में, सरकार जो ट्रेसेब्लिटी को अनिवार्य करती है, वह प्रभावी रूप से बड़े पैमाने पर निगरानी का ही एक रूप है। इसके लिए कंपनी को यूजर द्वारा भेजे जा रहे मैसेजेज का एक बड़ा डेटाबेस रखना होगा।

दूसरी कंपनियां भी डाटा कर सकती हैं कलेक्ट:

WhatsApp ने यह भी बताया है कि नए ट्रेसेब्लिटी नियम के साथ कंपनियां अपने यूजर्स के बारे में ज्यादा जानकारी इकट्ठा करेंगी। जबकि यूजर्स चाहते हैं कि कंपनियों को उनके बारे में कम ही जानकारी हो।

पुलिस के काम करने का तरीका बदल देगी ट्रेसेब्लिटी:

कंपनी ने दावा किया है कि ट्रेसेब्लिटी पुलिस के काम करने का तरीका बदल देगी। ट्रेसेब्लिटी के जरिए किसी भी मामले की जांच का तरीका बिल्कुल बदल जाएगा। एक सामान्य लॉ एनफोर्समेंट रिक्वेस्ट में, सरकार तकनीकी कंपनियों से किसी व्यक्ति के अकाउंट के बारे में जानकारी प्रदान करने का अनुरोध करती है। लेकिन ट्रेसेब्लिटी के साथ वह यह पूछेगी कि किसी मैसेज को सबसे पहले किस व्यक्ति ने भेजा है।


ट्रेसेब्लिटी WhatsApp के लिए बड़ी मुसीबत:
WhatsApp
के लिए यह ट्रेसेब्लिटी एक मुसीबत बन सकती है। क्योंकि दूसरे देश इसकी इजाजत नहीं देते हैं और अगर भारत में ऐसा होता है तो WhatsApp विभाजित हो सकता है। अमेरिका या यूरोप में बैठे यूजर्स नहीं चाहेंगे कि भारत सरकार को अपने भारतीय मित्रों और रिश्तेदारों के साथ व्यक्तिगत चैट तक पहुंच प्राप्त हो।

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