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बीएसबीडी खाते का मतलब ये है कि इसमें ग्राहकों को न्यूनतम या औसत मासिक शेष राशि रखने की आवश्यकता नहीं होती है

Written By newsonline | Ahmedabad | Published: 2020-11-04 10:08:45

अगर बैंक ऑफ बड़ौदा के ग्राहक हैं तो आपके लिए खुशखबरी है. दरअसल, इस सरकारी बैंक ने 1 नवंबर से लागू हुए नए नियम को वापस ले लिया है. बैंक के इस फैसले का फायदा करोड़ों ग्राहकों को मिलेगा.

 वित्त मंत्रालय ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि बैंक ऑफ बड़ौदा ने एक बैंक खाते में प्रत्येक महीने में नि:शुल्क नकद जमा लेनदेन से संबंधित बदलावों को वापस लेने का फैसला किया है. 

आपको बता दें कि बैंक ऑफ बड़ौदा ने एक नवंबर, 2020 से प्रत्येक महीने मुफ्त नकद जमा और निकासी की संख्या में कुछ बदलाव किया था. बैंक ने प्रत्येक महीने में पांच-पांच नि:शुल्क जमा और निकासी लेनदेन को घटाकर तीन-तीन कर दिया था. हालांकि, बैंक ने मुफ्त लेनदेन की संख्या से अधिक लेनदेन के लिए शुल्कों में कोई बदलाव नहीं किया था. 

रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के किसी भी बैंक को अपनी सेवाओं के लिए उचित, पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से शुल्क लगाने की अनुमति होती है. बैंक ये शुल्क लागत के आधार पर लगा सकते है. 

वित्त मंत्रालय ने बताया कि बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य बैंकों ने भी सूचित किया है कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर उनका निकट भविष्य में शुल्कों में वृद्धि का कोई इरादा नहीं है.  

मूल बचत बैंक जमा (बीएसबीडी) खातों के बारे में मंत्रालय ने कहा कि इस तरह के 60.04 करोड़ खातों पर किसी तरह का सेवा शुल्क लागू नहीं है. इनमें 41.13 करोड़ जन धन खाते भी शामिल हैं.

बीएसबीडी खाते का मतलब ये है कि इसमें ग्राहकों को न्यूनतम या औसत मासिक शेष राशि रखने की आवश्यकता नहीं होती है. इन खातों के लिए बैंकों ने उम्र और आय के हिसाब से अलग-अलग योग्यता तय की हुई है.

 

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