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  • Earthquake Prone Areas: बिहार, उत्‍तराखंड, हिमाचल... भारत में यहां सबसे ज्‍यादा है भूकंप आने का खतरा
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Earthquake high-risk zones in India: भारत की जमीन का 59 प्रतिशत हिस्‍सा ऐसा है जहां भूकंप का खतरा है। केंद्र सरकार ने पिछले दिनों लोकसभा में यह जानकरी दी।

Written By newsonline | Ahmedabad | Published: 2021-03-16 12:04:20

देश के अलग-अलग हिस्‍सों में कम तीव्रता के भूकंप अक्‍सर आते रहते हैं। इसकी वजह ये है कि हमारी 59% ऐसी है जहां पर हल्के से लेकर बड़े भूकंप आ सकते हैं। 12 मार्च को लोकसभा में केंद्र सरकार ने एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। सरकार ने उन शहरों/इलाकों के नाम भी बताए हैं जहां भूकंप आने का खतरा सबसे ज्‍यादा है। आमतौर पर सीस्मिक जोन्‍स के आधार पर तय होता है कि किस इलाके में भूकंप आने का कितना खतरा है। भारत में भूकंप का खतरा इसलिए ज्‍यादा है क्‍योंकि भारतीय प्‍लेट हर साल 47 मिलीमीटर की रफ्तार से एशिया की तरफ बढ़ रही है। भारत का पूरा इलाका चार सीस्मिक जोन्‍स में बंटा हुआ है।

सरकार ने बताया, कहां भूकंप का सबसे ज्‍यादा खतरा?

लोकसभा में सरकार ने जो जवाब दिया, उसके मुताबिक देश के इन शहरों में भूकंप आने का सबसे ज्‍यादा खतरा है:

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह: सभी शहर

बिहार: अररिया, दरभंगा, सीतामढ़ी, मधुबनी, मोतिहारी, सहरसा, किशनगंज, मधेपुरा, सुपौल

गुजरात: भुज

हिमाचल प्रदेश: धर्मशाला, हमीरपुर, चम्‍बा, मंडी, कुल्‍लू

जम्‍मू कश्‍मीर: श्रीनगर

पूर्वोत्‍तर के राज्‍य: त्रिपुरा के सभी शहर, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम और नगालैंड

उत्‍तराखंड: चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर, रूद्रप्रयाग, अल्‍मोड़ा

पश्चिम बंगाल: कूच बिहार

भारत के किस इलाके में ज्‍यादा रिस्‍क?

भूकंप जोनिंग मैप के अनुसार, पूरे भारत को चार भूकंपीय जोनों में बांटा है। इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक जोन 5 है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस क्षेत्र में रिक्टर स्केल पर 9 तीव्रता का भूकंप आ सकता है। जानिए भारत का कौन सा क्षेत्र किस जोन में स्थित है।

जोन 5

जोन-5 में पूरा पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड गुजरात में कच्छ का रन, उत्तर बिहार का कुछ हिस्सा और अंडमान निकोबार द्वीप समूह शामिल है।

जोन-4

जोन-4 में जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के बाकी हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग, सिंधु-गंगा थाला, बिहार और पश्चिम बंगाल, गुजरात के कुछ हिस्से और पश्चिमी तट के समीप महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा और राजस्थान शामिल है।

जोन-3

जोन-3 में केरल, गोवा, लक्षद्वीप द्वीपसमूह, उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्से, गुजरात और पश्चिम बंगाल, पंजाब के हिस्से, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक शामिल हैं।

जोन-2

जोन-2 भूकंप की दृष्टि से सबसे कम सक्रिय क्षेत्र है। इसे सबसे कम तबाही के खतरे वाले क्षेत्र की श्रेणी में रखा गया है। जोन-2 में देश का बाकी हिस्से शामिल हैं।

भूकंप के लिए कोई वार्निंग सिस्‍टम नहीं

लोकसभा में पृथ्‍वी विज्ञान मंत्री से यह भी पूछा गया था कि क्‍या देश की भूकंप प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली भूकंप की भविष्‍यवाणी करने में सक्षम है? इसके जवाब में मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि 'इस समय देश में भूकंप की पूर्व चेतावनी देने के लिए कोई प्रणाली नहीं है।' मंत्री ने कहा कि भूकंप के समय, स्‍थान और इसकी तीव्रता का पता लगाने के लिए दुनिया में कहीं कोई तकनीक मौजूद नहीं है।

दिल्‍ली में 6 से ज्‍यादा तीव्रता का भूकंप ला सकता है तबाही

एनसीएस (नैशनल सेंटर ऑफ सिस्मेलॉजी) के रेकॉर्ड के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर के फॉल्ट में सन् 1700 से अब तक चार बार 6 या इससे अधिक तीव्रता के भूकंप आ चुके हैं। 27 अगस्त 1960 में 6 की तीव्रता का भूकंप आया था जिसका केंद्र फरीदाबाद था। वहीं, सन् 1803 में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया था जिसका केंद्र मथुरा था। एक्सपर्ट के अनुसार, अभी राजधानी की जो स्थिति है उसे 6.5 तीव्रता का भूकंप काफी नुकसान पहुंचा सकता है।

दिल्ली अपनी लोकेशन के कारण ज्यादा संवेदनशील जोन में है। दिल्ली के सबसे नजदीक महेन्द्रगढ़ फॉल्ट लाइन, मुरादाबाद फॉल्ट लाइन और हरिद्वार रिज जोन और सोहना फॉल्ट लाइन है। सबसे खतरनाक बात यह है कि दिल्ली घनी आबादी वाला इलाका है और किसी तरह का भूंकप यहां लाखों लोगों की जान ले सकता है।