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  • राहुल गांधी को वायनाड से हराने में जुटा लेफ्ट, यहां क्यों बुरी तरह घिर गई है कांग्रेस
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इस बार के लोकसभा चुनावों में सीपीआई ने शुरू से ही कांग्रेस को केरल में एंटी मुस्लिम बनाकर पेश किया है. राहुल गांधी की मुश्किल ये है कि इस बार बीजेपी ने बहुत तगड़ा उम्मीदवार खड़ा कर दिया है. इस तरह इस बार हिंदू और मुस्लि्म वोट दोनों बंट रहे हैं. यही कारण है कि एनी राजा की स्थिति लगातार मजबूत हो रही है.

Written By newsonline | Ahmedabad | Published: 2024-04-05 15:41:36

वायनाड का चुनावी गणित कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए एक सिक्योर सीट बनाता है. शायद यही कारण है कि इस बार के लोकसभा चुनावों में उन्होंने अमेठी को छोड़कर वायनाड पर भरोसा जताया. पर इंडिया गठबंधन में शामिल सीपीआई ने उनके खिलाफ एक मजबूत उम्मीदवार उतारकर राहुल के संसद पहुंचने के मार्ग में रोड़े बिछा दिए हैं. यही नहीं बीजेपी की ओर से भी वायनाड के लिए दमदार प्रत्याशी उतारा गया है. सीपीआई महासचिव डी राजा की पत्नी एनी राजा वायनाड से उम्‍मीदवार हैं, वे सीपीआई की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की सदस्य हैं. तो बीजेपी के उम्मीदवार प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन हैं. मतलब साफ है कि दोनों ही पार्टियां वायनाड को ये मानकर चल रही हैं कि उन्हें सीट निकालनी हैं. वर्ना आमतौर पर मजबूत प्रत्याशियों के खिलाफ विरोधी पार्टियां ऐसे उम्मीदवार खड़ी करती है जो केवल नाम के होते हैं. वायनाड में राहुल गांधी का मुकाबला सिर्फ मजबूत उम्मीदवारों से ही नहीं है. सीपीआई ने उन्हें कई मोर्चे पर घेर लिया है.यही कारण है कि राहुल गांधी के लिए वायनाड भी इस बार मुश्किल लग रहा है.  

1-सीपीआई का दमदार उम्मीदवार

आम तौर पर यह समझा जा रहा था कि इंडिया गठबंधन में शामिल होने के चलते सीपीआई वायनाड से किसी हल्के प्रत्याशी को खड़ा करेगी. पर सीपीआई ने जिस तरह एनी राजा जैसी वरिष्ठ नेता को वायनाड से टिकट दिया है उससे यह लग गया था कि इस बार पार्टी वायनाड जीतने के मूड में है. प्रदेश के मुख्यमंत्री और सीपीआई के सबसे बड़े नेताओं में शुमार विजयन लगातार वायनाड का दौरा कर रहे हैं. यही नहीं वे लगातार कई मुद्दों पर राहुल गांधी और कांग्रेस पर हमलावर भी हैं. 

सीपीआई के महासचिव डी राजा की पत्नी और पार्टी नेता एनी राजा फिलहाल भारतीय राष्ट्रीय महिला फेडरेशन (NFIW) की महासचिव हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक एनी राजा कन्नूर के इरिट्टी की रहने वाली हैं और उनका जन्म वामपंथी पृष्ठभूमि वाले एक ईसाई परिवार में हुआ था. 

एनी राजा ने स्कूल के दिनों में ही सीपीआई ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन में सदस्य के रूप में जुड़ गई थीं. फिर वो 22 साल की उम्र में ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन में शामिल हो गईं.

2-सीएए पर राहुल की चुप्पी को लेफ्ट बना रहा मुद्दा

मुस्लिम समुदाय के समर्थन के बिना वायनाड जीतना असंभव है. शायद यही कारण है कि केरल की लेफ्ट सरकार के सीएम विजयन लगातार CAA को टारगेट कर रहे हैं. केरल की वामपंथी सरकार ने सीएए कानून को चुनौती देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है. इतना ही नहीं सीपीआई ने संविधान संरक्षण समिति के बैनर तले 22 मार्च को कोझिकोड में एक रैली भी की.  मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन इस तरह की तमान रैलियों  को संबोधित कर रहे हैं. यही नहीं केरल सरकार एक कदम और आगे बढ़ते हुए 2019 के सीएए विरोध प्रदर्शन के संबंध में दर्ज सभी मामलों को वापस लेने फैसला लिया है. जाहिर है कि सीएए लोकसभा चुनावों में मुद्दा बनाकर सीपीआई एम बड़े लाभ की तैयारी में है. 

दिलचस्प बात यह है कि सीएए के खिलाफ विरोध का सीधा असर कांग्रेस पर पड़ रहा हैन कि भाजपा पर. यही कारण है कि कांग्रेस दुविधा में फंस गई है. क्योंकि अब तक केरल में वामपंथियों के बीच में हिंदू पार्टी का तमगा कांग्रेस के नाम रहा है. कांग्रेस को डर है कि सीएए के खिलाफ वामपंथियों के साथ जुड़ने से राज्य में उसके हिंदू वोट बैंक में सेंध लग सकती है. कांग्रेस को यह भी डर है कि वामपंथियों की तरह सीएए के खिलाफ मजबूत रुख नहीं अपनाने से मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव सीपीआई एम की ओर हो जाएगा.

राहुल और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए विजयन वायनाड में कहते हैं कि जब पांच साल पहले संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा हुई थी तो केरल से असहमति की तेज़ आवाज़ केवल एलडीएफ की थी.क्या राहुल ने कुछ कहा? विजयन सवाल उठाते हैं कि इस संबंध में कांग्रेस और भाजपा के रुख में क्या अंतर है

विजयन सीएए को लेकर कांग्रेस पर लगातार हमलावर हैं. वो कहते हैं कि विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के कुछ सप्ताह बाद केरल विधानसभा सीएए विरोधी प्रस्ताव पारित करती है.क्या कांग्रेस ने मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों पर शासन करते हुए ऐसा कहा? विजयन पूछते हैं कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा में राहुल गांधी सीएए पर चुप क्यों रही

3-मुस्लिम लीग के झंडे न दिखने पर कम्युनिस्ट पार्टी ने राहुल को घेरा

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को वायनाड में नामांकन के दौरान रैली निकाली. उनकी रैली से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के झंडे नहीं दिखे. जिसे लेकर लेफ्ट और राइट दोनों ने कांग्रेस पर निशाना साधा है. IUML केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले UDF गठबंधन का एक प्रमुख हिस्सा है.

राहुल गांधी के रोड शो के दौरान कांग्रेस और उसके सहयोगी आईयूएमएल के झंडे गायब रहे. हालांकि कांग्रेस के भी झंडे रोड शो में नजर नहीं आए. राजनीतिक पार्टियों के बजाय राहुल गांधी का रोड शो भारतीय झंडों और तिरंगे गुब्बारों से भरा रहा.

लेफ्ट ने इसे मुद्दा बना दिया है.भारतीय जनता पार्टी ने भी कांग्रेस की इसके लिए आलोचना की है. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस में मुस्लिम लीग के झंडों को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने की हिम्मत नहीं है. विजयन ने कहा कि कांग्रेस इस स्तर तक गिर गई है कि वह सांप्रदायिक ताकतों से डरती है. उन्होंने कहा कि झंडे के मुद्दे पर कांग्रेस का रुख दिखाता है कि वह आईयूएमएल के वोट तो चाहती है लेकिन उनके झंडे को स्वीकार नहीं करेगी.

बीजेपी की स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की रैली में मुस्लिम लीग के झंडे छिपाए गए. यह दिखाता है कि या तो राहुल गांधी को मुस्लिम लीग से समर्थन मिलने पर शर्म आ रही है या जब वह उत्तर भारत के मंदिरों में जाएंगे तो वह मुस्लिम लीग के साथ अपने जुड़ाव को छिपा नहीं पाएंगे.

4-हिंदू वोटों के बंटने का खतरा

दरअसल केरल में जब तक बीजेपी मजबूत नहीं थी तब तक हिंदू वोट कांग्रेस को मिलते रहे हैं. इस बार के लोकसभा चुनावों में सीपीआई ने शुरू से ही कांग्रेस को केरल में एंटी मुस्लिम बनाकर पेश किया है. यही कारण रहा कि सीपीआई ने सीएए और मुस्लिम लीग के झंडे को मुद्दा बना दिया. राहुल गांधी की मुश्किल ये है कि इस बार बीजेपी ने बहुत तगड़ा उम्मीदवार खड़ा कर दिया है. सुरेंद्रन केरल में कई बार चुनाव लड़ चुके हैं. पिछली बार मात्र कुछ वोटों से विधायक बनने से वंचित रह गए थे. अगर हिंदू वोट बंटते हैं और मुस्लिम वोट सीपीआई के साथ जाते हैं तो राहुल के हाथ से वायनाड भी निकल जाएगा.

5-जातिगत गणित किसके फेवर में

वायना़ड में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही करीब 40 से 45 प्रतिशत के करीब हैं. इंडिया स्टेट इलेक्शन के आंकड़ों के मुताबिक वायनाड लोकसभा सीट पर 40 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. वहीं, सीट पर 40 फीसदी हिंदू मतदाता हैं. 20 फीसदी वोटर ईसाई समुदाय से हैं. इस सीट पर एससी और एसटी मतदाताओं की संख्या क्रमश: 7 फीसदी और 9.3 फीसदी है. एनी राजा ईसाई हैं. अगर सीपीआई मुस्लिमों को अपने साथ लाने में सफल होती है तो राहुल गांधी का जादू यहां काम नहीं कर पाएगा. क्योंकि ईसाई और मुस्लिम वोट मिलकर कुल 60 से 65 परसेंट तक हो जाते हैं.