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IMF ने भारत और ग्लोबल अर्थव्यवस्था में बढ़त के अनुमान को घटा दिया है. आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि ग्लोबल ग्रोथ के अनुमान में 80 फीसदी की गिरावट के लिए भारत जिम्मेदार है.

Written By newsonline | Ahmedabad | Published: 2020-01-21 11:27:28

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ एक बार फिर चर्चा में हैं. IMF ने भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़त के अनुमान को काफी घटा दिया है. दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) समि के दौरान इंडिया टुडे के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल से खास बातचीत में आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि ग्लोबल ग्रोथ के अनुमान में 80% की गिरावट के लिए भारत जिम्मेदार है.


गीता गोपीनाथ के इस बयान का हवाला देते हुए पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम और पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल ने मोदी सरकार पर तंज कसा है. आइए जानते हैं कि कौन हैं गीता गोपीनाथ..


पिछले साल बनीं चीफ इकोनॉमिस्ट

पिछले साल अक्टूबर में गीता गोपीनाथ को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) का चीफ इकोनॉमिस्ट यानी मुख्य अर्थशास्त्री बनाया गया. उन्होंने 1 जनवरी, 2019 से इस पद को संभाला. वह इस दायित्व को संभालने वाली पहली महिला हैं.


 उन्हें ऐसे समय इस वित्तीय संगठन के मुख्य आर्थिक सलाहकार की जिम्मेदारी दी गयी है, जब आर्थिक वैश्वीकरण की गाड़ी उल्टी दिशा में मुड़ रही है और उससे बहुपक्षीय संस्थाओं के सामने भी चुनौतियां खड़ी हो रही हैं



47 साल की गीता गोपीनाथ हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र पढ़ाती रही हैं. उन्होंने आईएएमफ में मौरिस आब्स्टफेल्ड की जगह ली जो 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हुए थे. वह मुद्राकोष की चीफ इकोनॉमिस्ट और इसके अनुसंधान विभाग की निदेशक बनाई गई हैं.


1 अक्टूबर 2018 को उनकी नियुक्ति की घोषणा करते हुए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की तत्कालीन प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लेगार्ड ने गीता गोपीनाथ को दुनिया का एक विलक्षण और अनुभवी अर्थशास्त्री बताया था. उन्होंने कहा था कि गीता विश्व में महिलाओं के लिए एक आदर्श हैं. वह IMF की 11वीं मुख्य अर्थशास्त्री हैं. गीता गोपीनाथ जानी-मानी शिक्षाविद और केरल सरकार की आर्थिक सलाहकार भी रही हैं.

उन्होंने हाल में हार्वर्ड गजट के साथ बातचीत में अपनी इस नियुक्ति को एक बड़ा सम्मान बताया था. इसी बातचीत में उन्होंने कहा कि वह जिन मुद्दों पर अनुसंधान करना चाहेंगी उनमें एक मुद्दा यह भी है कि अंतराष्ट्रीय व्यापार और वित्त में अमेरिकी डाॅलर जैसी वर्चस्व वाली मुद्राओं की भूमिका असल में क्या है.


दिल्ली से लेकर हार्वर्ड तक पढ़ाई

भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ का जन्म 8 दिसंबर, 1971 को कोलकाता में हुआ था, लेकिन उनकी प्रारंभिक िक्षा मैसूर (कर्नाटक) के निर्मला कॉन्वेंट स्कूल से हुई. उनके माता-पिता मूलत: केरल के कन्नूर में रहते थे.


गोपीनाथ ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स और यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन से एमए की डिग्री हासिल की है. वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन और अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रही हैंउससे पहले वह यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में असिस्टेंट प्रोफेसर थीं. उन्होंने अपनी बैचलर की डिग्री लेडी श्रीराम कॉलेज, नई दिल्ली से हासिल की है.


वह भारत के वित्त मंत्रालय के जी-20 सलाहकार समिति में प्रतिष्ठित सदस्य के रूप में भी शामिल रही हैं. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय व्यापक अर्थशास्त्र और व्यापार पर किए गए शोध से साल 2001 में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि हासिल की है.

 गीता के पति का नाम इकबाल धालीवाल है जो इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट हैं और 1995 बैच के आईएएस टॉपर हैं. इकबाल आईएएस की नौकरी छोड़ प्रिंसटन पढ़ने चले गए थे. गीता के पति और एक बेटे का परिवार फिलहाल कैम्ब्रिज (यूके) में रहता है.


नोटबंदी की कटु आलोचक रही हैं

आईएमएफ के सर्वोच्च इकोनॉमिस्ट पद पर चुने जाने के बाद गोपीनाथ का एक बयान काफी सुर्खियों में था. कभी उन्होंने भारत में नोटबंदी की कड़े शब्दों में आलोचना की थी. उनकी वे बातें अब वायरल हो रही हैं. एक इंटरव्यू में गोपीनाथ ने कहा था कि कोई भी बड़ा अर्थशास्त्री नोटबंदी को जायज नहीं ठहरा सकता. गोपीनाथ ने यह भी कहा था कि सभी नकदी तो कालाधन होता है और तो भ्रष्टाचार.  

गोपीनाथ ने यह भी कहा था कि किसी विकासशील देश के लिए नोटबंदी काफी कड़ा फैसला है. यह खतरनाक होने के साथ-साथ हानिकारक भी है जो कुछ सेक्टर में स्थायी क्षति ला सकता है.