कहा जाता है कि 16 सदी में संत कवि तुलसीदास (Tulsidas) ने 'रामचरितमानस' (Ramcharitmanas) लिखी थी। वह रामचरितमानस को लिखने से पहले उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh News) के लखनऊ (Lucknow news) में ऐशबाग रामलीला (Aishbagh Ramlila Ground) मैदान आए थे।
लखनऊ
5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन करने पहुंच रहे हैं। भूमि पूजन के लिए लखनऊ
के ऐशबाग राम लीला मैदान से भी मिट्टी दी गई है। बुधवार को मिट्टी से भरा एक बर्तन
राम लीला समिति ने अयोध्या शोध संस्थान को सौंप दिया।
कहा जाता है कि 16 सदी में संत कवि तुलसीदास ने
'रामचरितमानस' लिखी थी। वह रामचरितमानस को
लिखने से पहले लखनऊ के ऐशबाग रामलीला मैदान आए थे। यह भी माना जाता है कि तुलसीदास
ने ही ऐशबाग मैदान में 'राम लीला' की परंपरा को शुरू किया था।
'लक्ष्मणपुरी की मिट्टी का
प्रयोग देगा खुशी'
बुधवार को मंत्रों और कुछ अनुष्ठानों का जाप करने के बाद, ऐशबाग राम लीला समिति के
सदस्यों ने राम मंदिर की भूमि पूजन के लिए मिट्टी और एक चांदी का सिक्का दिया।
समिति के अध्यक्ष हरीश चंद्र अग्रवाल ने कहा, 'भगवान लक्ष्मण हमेशा भगवान
राम के साथ थे और उनकी आज्ञा का पालन किया, और अब राम मंदिर की नींव में
'लक्ष्मणपुरी' (लखनऊ) की मिट्टी का उपयोग
किया जाएगा।'
'मंदिर से होगा खास जुड़ाव'
हरीश अग्रवाल ने कहा, 'मंदिर निर्माण के लिए ऐशबाग
की मिट्टी का प्रयोग होने से हमें बहुत खुशी होगी। हम लोग मंदिर में आस्था के साथ
और ज्यादा जुड़ाव महसूस करेंगे।'
तुलसीदास ने
डाली थी रामलीला की परंपरा
समिति के सचिव आदित्य द्विवेदी ने कहा कि 16 वीं शताब्दी में, तुलसीदास कई साधुओं के साथ
यहां आते थे और 'चौमासा' (मानसून के चार महीने) बिताते थे। उस दौरान साधू मैदान में
राम लीला का प्रदर्शन करते थे। हालांकि, तुलसीदास ने वाल्मीकि की 'रामायण' का अनुवाद अवधी में किया था
इसलिए केवल कुछ ही लोग इसे समझ सकते थे। लोगों को इसे समझाने के लिए राम लीला का
आयोजन किया गया। यह तब से यहां परंपरा चली आ रही है।
मैदान में जलाए
जाएंगे दीप
ऐशबाग राम लीला समिति भी 5 अगस्त को मैदान में एक विशेष
पूजा करेगी। अयोध्या में भूमि पूजन समारोह को और भी भव्य बनाने के लिए पूरे मैदान
में मिट्टी के दीपक भी जलाए जाएंगे।