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  • गुजरात में बन रहा बंगाल जीतने का मॉडल, बीजेपी-संघ की तीन दिवसीय बैठक
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मोहन भागवत से लेकर आरएसएस के सभी 36 आनुषंगिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी संगठन महासचिव बीएल संतोष भी शामिल होंगे. संघ की इस तीन दिवसीय बैठक में बंगाल विधानसभा चुनाव जीतने की रणनीति से लेकर कृषि कानूनों, किसान आंदोलन और राम मंदिर के निर्माण के एजेंडे पर चर्चा होनी है.

Written By newsonline | Ahmedabad | Published: 2021-01-05 10:11:40

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गुजरात के अहमदाबाद में महत्वपूर्ण समन्वय बैठक मंगलवार से शुरू हो रही है. इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत से लेकर आरएसएस के सभी 36 आनुषंगिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी संगठन महासचिव बीएल संतोष भी शामिल होंगे. संघ की इस तीन दिवसीय बैठक में बंगाल विधानसभा चुनाव जीतने की रणनीति से लेकर कृषि कानूनों, किसान आंदोलन और राम मंदिर के निर्माण के एजेंडे पर चर्चा होनी है. 

नड्डा की गुजरात नेताओं से बैठक
आरएसएस की तीन दिवसीय इस बैठक में शामिल होने के लिए सोमवार को ही बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा अहमदाबाद पहुंच गए. नड्डा एयरपोर्ट से सीधा बीजेपी मुख्यालय पहुंचे, जहां गुजरात बीजेपी अध्यक्ष के साथ राज्य के मुख्यमंत्री और डेप्टी सीएम और प्रदेश के नेताओं के साथ बैठक की. AAP की एंट्री और AIMIM के बीटीपी के साथ गंठबधन के बाद चुनाव लड़ने के फैसले के बाद दिलचस्प हुए निकाय चुनाव को लेकर भी चर्चा हो सकती है. वहीं गुजरात बीजेपी के संगठन के लोगों के साथ भी जेपी नड्डा बातचीत हुई जिस में बंगाल चुनाव के लिए गुजरात से जाने वाले नेताओं के नाम को लेकर भी चर्चा होने की बात सामने आई है. 

बंगाल जीतने के प्लान पर चर्चा
अहमदाबाद के कर्णावती कॉलेज में होने वाली आरएसएस की तीन दिवसीय बैठक में मुख्य एजेंडा इस साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं. पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तामिलनाडु और केन्द्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इनमें असम में बीजेपी सत्ता में तो पुडुचेरी में कांग्रेस का राज है. वहीं, बंगाल में टीएमसी और केरल में वामपंथी पार्टी की सत्ता है जबकि तमिलनाडु में AIADMK काबिज है.

बंगाल विधानसभा चुनाव में जीत बीजेपी और संघ के लिए राजनीतिक रूप से जितनी महत्वपूर्ण है, वैचारिक रूप से भी उतनी ही जरूरी है. यही वजह है कि संघ-बीजेपी की समन्वय बैठक में सबसे अहम मुद्दा बंगाल चुनाव है, जिसे जीतने के लिए मजबूत कार्ययोजना बनाए जाने की चर्चा हो सकती है. 

संघ की मौजूदगी 1939 से ही बंगाल में रही है. हालांकि वामपंथ के 34 साल के कार्यकाल में संघ का प्रभाव राज्य में व्यापक नहीं हो पाया. 2011 में वामपंथी सरकार जाने के बाद और 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद से संघ लगातार बंगाल में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है. इसका नतीजा 2019 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला. यही वजह है कि बीजेपी-संघ भी बंगाल चुनाव जीतने की रूपरेखा समन्वय बैठक में तैयार करेंगे. 

संघ के अलग-अलग संगठन अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, वे भी केंद्र में बीजेपी की सरकार को लेकर अपनी राय बैठक में रख सकते हैं. इस समन्वय बैठक में पश्चिम बंगाल चुनाव के साथ साथ किसानों के आंदोलन, केन्द्र के नए कृषि कानून पर भी चर्चा होगी, आरएसएस सूत्रों की माने तो संघ विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में बंग्लादेश से बढ़ती घुसपैठ और इस्लामिक कट्टरपंथ के बारे में चिंतित है. साथ ही बंगाल में रहने वाले बंगाली हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर भी चर्चा हो सकती है.

किसान आंदोलन पर चर्चा होगी
वहीं, केन्द्र सरकार के किसान बिल को लेकर एक ओर जहां विरोध हो रहे हैं, वहीं आरएसएस की इस बैठक में इस मुद्दे पर भी बातचीत होगी. RSS के प्रचारक अरुण कुमार का कहना है कि इस समन्वय समिति में किसान संघ के भी सदस्य हैं वो भी किसानों से जुड़े कानूनों को लेकर अपनी बात सबके सामने रखेंगे. इसके अलावा राम मंदिर निर्माण को लेकर भी चर्चा होगी, अरूण कुमार का कहना है कि देश का हर नागरिक राम मंदिर के लिए योग्य दान करे और स्वयंसेवक बन इस मंदिर निर्माण के कार्य को आगे बढ़ाए. 

 

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