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  • Modi Cabinet News : 3 मंत्री पद मांगे थे, पर PM मोदी ने 1 ही दिया... पर जानिए, क्यों खुश तो बहुत होंगे नीतीश!
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मोदी कैबिनेट विस्तार के बाद सियासत में इस बात की चर्चा है कि नीतीश को आखिरकार एक मंत्रिपद से ही संतुष्ट होना पड़ा। लेकिन क्या सच में ऐसा है? क्या वाकई में नीतीश का कद कम हो गया या फिर बात कुछ और है? जानिए हमारी इस खबर में

Written By newsonline | Ahmedabad | Published: 2021-07-08 11:07:37

नई दिल्ली:
नीतीश कुमार ने केंद्र में 3 मंत्रिपद मांगे लेकिन मिला एक। बावजूद इसके वो खुश तो बहुत होंगे! ये चर्चा यूं ही नहीं हो रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद कहते हैं कि जब वो पुड़िया बांधकर फेंकते हैं तो वो खुलती नहीं। तो फिर जिस एक मंत्रिपद को 2019 में नीतीश ने सांकेतिक बताकर मोदी सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया था, वही सांकेतिक पद दो साल बाद उन्हें क्यों कबूल हो गया? इसकी वजह भी बड़ी है।

चिराग को दूसरा झटका देने के लिए नीतीश ने दी कुर्बानी!
केंद्र की मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार के बाद चर्चा इसी बात की है कि चिराग को दूसरा झटका देने के लिए नीतीश ने अपनी मांगों की कुर्बानी दे दी। दरअसल जैसे ही पशुपति पारस को केंद्र सरकार में शामिल करने का फैसला लिया गया उसी वक्त नीतीश ने चिराग को दूसरा झटका दे दिया। LJP सांसद होने के नाते पशुपति पारस को केंद्र सरकार में बतौर खाद्य प्रसंस्करण मंत्री शामिल कर लिया गया।

पारस की अगुवाई वाली LJP को BJP ने किया कबूल
पारस को केंद्र सरकार में शामिल करने का सीधा मतलब था कि बीजेपी उनकी अगुवाई वाली LJP को कबूल कर चुकी है। नीतीश भी तो यही चाहते थे। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में चिराग के हाथों 20 से ज्यादा सीटों पर चोट खा चुके नीतीश कुमार बदला चाहते थे। लेकिन चिराग खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताकर उनके सामने एक ढाल खड़ी कर देते थे।

पशुपति की बगावत के बाद चिराग की ढाल टूटी
एक तरह से एलजेपी सांसद पशुपति कुमार पारस को कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल करने और उन्हें खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय का प्रभार देने का पीएम नरेंद्र मोदी का फैसला चिराग पासवान के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ। वो भी तब जब चिराग ये कहते आ रहे थे कि वो पीएम मोदी के हनुमान हैं। पारस के मोदी सरकार में शामिल होने को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक और जीत के रूप में ही देखा जा रहा है।

हार कर भी जीत गए नीतीश
एक फिल्मी डॉयलॉग है कि 'हार कर जीतने वाले को ही बाजीगर कहते हैं'। चिराग पासवान के मामले में अगर नीतीश को भी बिहार की सियासत का बाजीगर कहा जाए तो गलत न होगा। भले ही उनकी तीन मंत्रियों वाली मांग बीजेपी ने नहीं मांगी लेकिन नीतीश पारस के मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद चिराग को 'दूसरा' झटका तो दे ही चुके हैं।