ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की बनाई कोविड वैक्सीन को लेकर एक नई बात सामने आई है. एक स्टडी के मुताबिक, अगर इस वैक्सीन का बूस्टर शॉट लगाया जाता है, तो इम्यून सिस्टम मजबूत होता है.
कोरोना के खिलाफ जारी जंग में दुनिया इस वक्त वैक्सीनेशन के मोड में है. इस
बीच ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की बनाई कोविड वैक्सीन को लेकर एक नई बात सामने आई
है. एक स्टडी के मुताबिक, अगर इस वैक्सीन का
बूस्टर शॉट लगाया जाता है, तो इम्यून सिस्टम
मजबूत होता है. हालांकि, अभी स्टडी ने कहा है
कि ऐसा कोई डाटा नहीं है कि अभी तीसरे शॉट की ज़रूरत है, क्योंकि अभी कई देशों
में वैक्सीन की कमी है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी
की एक स्टडी ने पाया है कि वैक्सीन का तीसरी डोज़ एंटीबॉडी, इम्यून सिस्टम को
मजबूत करता है. या दूसरे डोज़ में 45 हफ्ते तक की देरी भी
कुछ हद तक मदद कर सकती है.
इस स्टडी के बाद अब ब्रिटिश सरकार की ओर से संकेत दिए गए हैं कि
थर्ड शॉट के लिए अलग से कैंपेन चलाया जा सकता है. अभी ब्रिटेन में अधिकतर लोगों को
वैक्सीन के दोनों शॉट लग चुके हैं.
स्टडी में कहा गया है कि कोरोना के मौजूदा वैरिएंट के खिलाफ
वैक्सीन काम करती है, ऐसे में बूस्टर की ज़रूरत नहीं है. लेकिन, हमें ऐसे समय के लिए
तैयार रहना चाहिए, जहां एक और बूस्टर देना पड़ सकता है.
बता दें कि इसी टीम ने पहले एक स्टडी में दावा किया था कि अगर
एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज़ में 12 हफ्ते से अधिक का अंतर
रहता है, तो ये फायदेमंद साबित होगा.
आपको बता दें कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन भारत में
कोविशील्ड के नाम से उपलब्ध है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इस वैक्सीन को भारत
में बना रहा है, देश में सबसे अधिक वैक्सीन यही इस्तेमाल हो रही है. भारत
में भी कोविशील्ड के पहले और दूसरे डोज़ के बीच के अंतर को 12 से 16 हफ्ते तक कर दिया गया
है.