एलन बॉर्डर को ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट का महान कप्तान माना जाता है। और ऐसे ही नहीं उनके रेकॉर्ड इस बात की तस्दीक करते हैं। बॉर्डर ने टीम को बनाने और तैयार करने में महती भूमिका निभाई।
नई दिल्ली
यह साल 1995 था। ऑस्ट्रेलियाई टीम ने वेस्टइंडीज को उसी की धरती पर
हराकर टेस्ट सीरीज जीती थी। वेस्टइंडीज जिसकी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कुछ साल
पहले तक तूती बोलती थी अब अपने अतीत की परछाई भर रह गई थी। इस सीरीज की जीत को
अगली बेस्ट टीम को बैटन थमाना तक कहा गया। उस टीम के कप्तान मार्क टेलर थे लेकिन
क्रिकेट के कई जानकार मानते हैं कि यह तो उस मेहनत का प्रतिफल था जो टेलर से पहले
ऑस्ट्रेलियाई टीम के कप्तान रहे एलन बॉर्डर ने शुरू की थी।
बॉर्डर दुनिया के सबसे
सम्मानित कप्तानों में शुमार हैं। इतने कि उनके नाम से ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में
सम्मान दिए जाते हैं। बॉर्डर के दौर में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के चोटी पर
पहुंचने के सफर की शुरुआत मानी जाती है। वही बॉर्डर जिनके नाम पर भारत और
ऑस्ट्रेलिया के बीच प्रतिष्ठित बॉर्डर-गावसकर ट्रोफी खेली जाती है। आज उन्हीं एलन
बॉर्डर का 65वां जन्मदिन है। आज ही के दिन सन 1955
में
सिडनी में उनका जन्म हुआ।
वक्त के साथ
बढ़ता गया कद
बॉर्डर बहुत प्रतिस्पर्धी थे। कभी हार न मानने वाले। साल 1978
में
जब वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट ने दुनिया मे उथल-पुथल मचा रखी थी तब बॉर्डर को पहली बार
ऑस्ट्रेलियाई टीम में मौका मिला। वक्त के साथ-साथ बाएं हाथ का यह बल्लेबाज
ऑस्ट्रेलियाई टीम में अपनी जगह पक्की करता गया। वह ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी का
स्तंभ बन गए। और ऐसे कप्तान जिसने कंगारू टीम की किस्मत बदलने की शुरुआत की।
हालांकि खुद बॉर्डर की शुरुआत में कप्तान बनने में कोई रूचि नहीं थी। वह थोड़े
गुस्सैल थे। पर किस्मत उनके पाले में थी। साल 1985-86 में ऑस्ट्रेलिया को न्यूजीलैंड
के खिलाफ लगातार टेस्ट सीरीज में हार मिली। टीम की बहुत आलोचनाएं हुईं। लेकिन
बॉर्डर बच गए।
1987 का साल
क्रिकेट वर्ल्ड कप
पहली बार इंग्लैंड से बाहर निकला था। रिलायंस वर्ल्ड कप भारतीय उपमहाद्वीप में आया
था। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच कोलकाता के ईडन गार्डंस में फाइनल मुकाबला था।
बीती बार की चैंपियन भारत सेमीफाइनल मे हार गई थी। और साथ ही पाकिस्तान भी अंतिम
चार से आगे नहीं बढ़ पाई। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड दोनों, दूसरी बार फाइनल में थे।
कंगारू टीम टूर्नमेंट में आने से पहले इतनी मजबूत नहीं मानी जा रही थी। पर वह अब
खिताब के करीब थी। बॉर्डर की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया ने पहली बार वर्ल्ड कप जीता।
इसके बाद साल 1989 में एशेज सीरीज जीत ने कप्तान के रूप में बॉर्डर का कद
काफी बढ़ा दिया। और ऑस्ट्रेलिया दुनिया की बेस्ट टीम बनने की ओर बढ़ने लगी।
करियर में कई
रेकॉर्ड
बॉर्डर टेस्ट
क्रिकेट में 11 हजार रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज बने। जब उन्होंने 15 साल के अपने करियर को विराम
दिया तो उनके नाम कई रेकॉर्ड थे। सबसे ज्यादा टेस्ट (156),
सबसे
ज्यादा टेस्ट रन (11174), सबसे ज्यादा कैच (156), लगातार सबसे ज्यादा टेस्ट (153)
और कप्तान
के रूप में सबसे ज्यादा टेस्ट (93), ये सब एलन बॉर्डर के नाम था।
बॉर्डर की कप्तानी में खेले गए 93 टेस्ट मैचों में से
ऑस्ट्रेलिया ने 32 जीते, 22 हारे, 28
मुकाबले
ड्रॉ रहे जबकि भारत के खिलाफ एक मैच टाई रहा।
जानकारी के लिए-
1975-76 के बाद से ऑस्ट्रेलियाई टीम वेस्टइंडीज को सीरीज नहीं हरा
पाई थी। सात बार वेस्टइंडीज जीती थी और एक ड्रॉ रही थी। 1972-73
के
बाद पहली बार कैरेयिबाई टीम अपनी धरती पर टेस्ट सीरीज हारी थी। तब इयान चैपल की
टीम ने वहां जीत दर्ज की थी।