भारत समेत कई देशों के बड़े नेताओं, पत्रकारों और अन्य हस्तियों को इस सॉफ्टवेयर के जरिए निशाना बनाया गया. पेगासस सॉफ्टवेयर को इज़रायल का NSO ग्रुप बनाता है. लगातार लग रहे आरोपों के बीच इज़रायल ने इस पूरे मामले की जांच के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है.
पेगासस स्पाईवेयर (Pegasus
Spyware) से हो रही
जासूसी से दुनिया के कई देशों में हलचल है. भारत समेत कई देशों के बड़े नेताओं, पत्रकारों और अन्य हस्तियों को इस
सॉफ्टवेयर के जरिए निशाना बनाया गया. पेगासस सॉफ्टवेयर को इज़रायल का NSO ग्रुप बनाता है. लगातार लग रहे
आरोपों के बीच इज़रायल ने इस पूरे मामले की जांच के लिए एक टास्क फोर्स का गठन
किया है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इज़रायल (Israel) ने वरिष्ठ मंत्रियों की एक टीम
बनाई है,
जो इस पूरे
विवाद पर नज़र रखेंगे. इस टीम का मुख्य फोकस इज़रायल कंपनी NSO ग्रुप पर लग रहे आरोपों की जांच
करना होगा,
साथ ही देश
की साइबर एक्सपोर्ट नीति को परखना होगा.
जानकारी के
मुताबिक,
इस टीम में
इज़रायल के रक्षा मंत्रालय,
कानून
मंत्रालय,
विदेश
मंत्रालय और मोसाद से जुड़े लोग शामिल हैं.
कई देशों की हस्तियों को बनाया गया निशाना
आपको बता
दें कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने एक रिपोर्ट में दावा किया था कि इजरायल के एनएसओ
ग्रुप द्वारा बनाए गए पेगासस स्पाइवेयर के जरिए दुनिया के कई बड़े नेताओं, पत्रकारों और अन्य हस्तियों का
फोन टैप किया गया था. इसमें भारत, फ्रांस,
पाकिस्तान, सऊदी अरब समेत कई देशों के लोगों
को निशाना बनाया गया था.
एनएसओ
ग्रुप की ओर से इन मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया गया था. एनएसओ ग्रुप के मुताबिक, वह सिर्फ सरकारी एजेंसी को ही
अपना सॉफ्टवेयर देता है और जो दावे किए गए हैं, उनमें उसका कोई हाथ नहीं है. इन आरोपों के बीच
इज़रायल की लगातार खराब हो रही छवि को देखते हुए ये फैसला लिया गया है.
आपको बता
दें कि पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए फ्रांस ने भी आदेश दे दिया है. फ्रांस
में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के अलावा एक हज़ार से अधिक लोगों को निशाना बनाए
जाने का दावा है.
भारत में भी इस मुद्दे को लेकर
जमकर बवाल हो रहा है. संसद के मॉनसून सत्र में विपक्ष द्वारा इस मसले को जोरशोर से
उठाया जा रहा है,
शुरुआती
दिनों में इस विषय पर हंगामे के कारण सदन का कामकाज प्रभावित भी रहा. वहीं, भारत सरकार ने इस मामले का पूरी
तरह खंडन किया है.